बीर बिलिंग का इतिहास | History Of Bir Billing

बीर के बजुर्ग लोगो और कुछ सरकारी दस्तावेजो की पड़ताल से पता चलता है कि बीर मे जो पहला गाँव बसाया गया वो 1600 ई के आसपास भंगाल से आए कुछ लोगों द्वारा बसाया गया था। भंगाल से आए हुए परिवार बीर के ऊपरी हिस्से में बसे हुए थे। बाद में जो अन्य परिवार आए वो 20 वी शताब्दी के शुरू में निचले हिस्से में जाकर रहने लगे आज उसी स्थान को हम चौगान के नाम से जानते हैं।

बीड़ बिलिंग

Bir Billing Paragliding

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले (हिमाचल का चौथा सबसे बड़ा जिला) में बसा एक गाँव जिसका नाम है, बीड़ बिलिंग। पर्वतों और वनों से घिरा एक रमणीय पर्यटक स्थल है। यहाँ बोध मठ भी हैं जो एक अलग तरह से प्रकर्ति के बीच अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

बीड़ बिलिंग की खास बातें

बीड़ बिलिंग प्रसिद्ध है पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग, वाटर फ़ाल, बांजि जंपिंग, बोध मठ, मेडिटेशन  ओर तिब्बतीयों की कॉलोनी के लिए। यहाँ सुन्दर चाय के बागीचे भी हैं जो इसकी सुंदरता को चार चाँद लगाते हैं।

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सबसे पहले हम बात करेंगे पैराग्लाइडिंग की जो खास आकर्षण का केंद्र है।

Paragliding Bir Billing

बीड़ बिलिंग में पैराग्लाइडिंग शुरू करने का श्रेय हम देते हैं नवीन सरीन को। नवीन सरीन पालमपुर के निवासी थे | 30 के दशक में नवीन ने कोलकाता में एक कंपनी के लिए काम किया।

1975 में नवीन ने अपनी नौकरी को त्याग दिया और अपने एरिया में पर्यटन क्षेत्र की खोज शुरू कर दी | उन्होंने दो चीजों पर शोध करना शुरू किया – एंगलिंग और फ्लाइंग एक्टिविटीज। सरीन दो अन्य पैराग्लाइडिंग विशेषज्ञों – लंदन के जॉन बोमन और महाराष्ट्र के पंकज महाजन के साथ जुड़े। इन तीनों ने हिमाचल में मिल कर कई जगहों का सर्वेक्षण किया ओर अंत में निष्कर्ष निकाला के बीड़ बिलिंग ही एक एसी जगह है जो सभी जगहों से सर्वश्रेष्ठ है पैराग्लाइडिंग के लिए।

1978 में कुमारी दीपा महाजन नाम की एक युवती दिल्ली से बीर बिलिंग आई थी जिसने बीर बिलिंग में हैंग ग्लाइडिंग ओर पेराग्लाइडिंग की पहचान की।

1984 में हिमाचल वन विभाग ने इस जगह को पहचान ओर इसे अंतर्राष्ट्रीय रूप में पहचान दी। फ़्रांस से आए एक्स बो रेमंड ने 130k.m की उड़ान भर कर विश्व रिकार्ड बनाया जिसके बाद हिमाचल सरकार ने 2015 में पेराग्लाइडिंग की प्री विश्व कप प्रतियोगिताओ का शुभारंभ किया। इसका परिणाम ये हुआ के बीर बिलिंग आज पेराग्लाइडिंग की दुनिया में सबसे बेस्ट जगहों में अपना स्थान बना चुकी है। आज यहाँ दूर-दूर से पर्यटक आते हैं पेराग्लाइडिंग का अनुभव लेने के लिए। बीर में एक छोटी सी मार्केट भी है जहां आप पेराग्लाइडिंग के बाद लोकल भोजन  का ओर अन्य कई तरह के भोजन का आनंद ले सकते हैं। यहाँ आप हल्की फुलकी शॉपिंग का आनंद भी ले सकते हैं। जिसमें तिब्बतियन ट्रेडिशन ओर उनका कल्चर भी शामिल है।  

अब बात आती है दूसरी गतिविधियों की, जिसमे शामिल है ट्रैकिंग , बांजि जंपिंग,  हैंग ग्‍लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग, टॉय ट्रेन की सवारी, वॉटरफॉल में नहाना आदि। ये भी एक अलग तरह का अनुभव है। जब लोग अपनी  भाग दोड़ भारी ज़िदगी से थक जाते हैं तो ये गतिविधियां एक अलग तरह का सुकून देती हैं।

यहाँ हर वर्ष बहुत सारे पर्यटक आते हैं। सप्ताह के अंत में तो यहाँ अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। देखने के लिए तो बीर बिलिंग एक छोटा सा कस्बा है पर यहाँ आपको वो सब सुविधाएं प्राप्त होंगी जो शहरों में होती हैं।

सबसे पहले हमारे लिए ये जानना जरूरी है के बीर बिलिंग पहुंचे केसे, एक समय था जब हिमाचल पहुँचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी, परन्तु  अब समय बदल चुका है। यहाँ का सड़क मार्ग संपर्क, रेल मार्ग संपर्क ओर हवाई संपर्क बड़े- बड़े शहरों के साथ अच्छी है। हिमाचल की राजधानी शिमला जो ग्रीष्मकालीन ओर धर्मशाला जो शीतकालीन है यहाँ आप हवाई जहाज द्वारा आ सकते हैं।

तिब्बती कॉलोनी की स्थापना

बात उस समय की है, जब तिब्बत में 14 वे दलाई लामा को चुना जाना था ओर चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया था। तिब्बती लोगों ने जी जान लगाकर इस आक्रमण का उत्तर दिया परंतु अंत में उन्हे हार का सामना करना पड़ा। चीन के इस आक्रमण ने तिब्बती संस्कृति का भयंकर नरसंहार किया।

कुछ वर्ष बीत जाने पर तिब्बत के लोगों ने चीनी शासन के खिलाफ आवाज उठाना आरंभ कर दिया। परन्तु जिन लोगों ने भी आवाज उठाई उन्हे इसमें सफलता नहीं मिली। दलाई लामा के दिल में ये बात घर करने लगी की वो इस तरह चीन के हाथ की कठपुतली बन जाएंगे। इन सब बातों पर विचार करके उन्होंने भारत की तरफ अपने कदम बढ़ाए।

10 मार्च 1959 को तिब्बती लोगों ने एक बार फिर प्रयास किया ओर चीनी शासन का विद्रोह किया परन्तु ये विद्रोह एक बार फिर नाकाम रहा। इसके बाद दलाई लामा ने भारत में शरण ली थी। 1960 की शुरुवात में तिब्बती शरणार्थियों के लिए बीर में तिब्बती कॉलोनी बसाई गई।

निंगमा वंश के अवतार लामा अपने परिवार के साथ एक छोटा दल लेकर बीर में आए थे। विदेशी लोगों की मदद लेकर उन्होंने बीर में 200 एकड़ ज़मीने खरीदी। यहाँ 300 के लगभग परिवारों को घर बनाने की अनुमति मिली, ओर इन शरणार्थियों को एक समझौते के रूप में यहाँ रहने दिया था।

तिब्बती शरणारतियों द्वारा किए गए निर्माण कार्य

यहाँ आने के बाद तिब्बती शरणार्थियों ने तिब्बती बोद्ध मठों, निंगमा स्कूल के केंद्र, कर्मा कागयु स्कूल ओर शाक्य स्कूल बनवाए, ये बीर में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बने हैं। यहाँ बोद्ध स्तूप भी बने हैं। इन्होंने यहाँ कई बोद्ध मठों का निर्माण किया। जो आज के समय में आकर्षण का केंद्र है।

1.चोंकलिंग मोनेस्टरी

यह मोनेस्टरी बीर में तिब्बती कॉलोनी में बनी है। 1960 के नेतन चोकलिंग रिनपोचे ने इसका निर्माण करवाया था। ये अपने आप में एक शानदार मोनेस्टरी है। इस मठ के बाहरी हिस्से में बहुत सारे स्तूप, मंदिर ओर लामाओं के रहने के लिए भवन बने हैं। बीर के लैन्डिंग स्थान से यह केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

2. पलपुंग शेराबलिंग मठ

बीर के भट्टु में बना एक शानदार मठ जिसका नाम पलपुंग मठ है। यह पूरा मठ 30 एकड़ के आसपास फेला हुआ है। इस मठ के चारों ओर सुंदर ओर शांत जंगल है जो इस मठ की सुंदरता में चार चाँद लगाता है। मोनेस्टरी में स्तूप, हॉस्टल ओर स्कूल बना है। मोनेस्टरी का नियम है की अंदर जाने वाला व्यक्ति फोटो ओर वीडियो नहीं ले सकता। मोनेस्टरी के अंदर महात्मा बुद्ध की मूर्ति रखी गई है जिसकी ऊँचाई  लगभग 12 मीटर है।

3.निंगयांग मोनेस्टरी

यह मोनेस्टरी बीर की लैन्डिंग स्थान से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। इस मठ में जाते ही अपार शांति का अनुभव होता है। यहाँ की हर इमारत पर दिल को सुकून देने वाले रंगों का प्रयोग किया गया है। यहाँ हर एक इमारत पर तिब्बती संस्कृति, बोद्ध संस्कृति की सुंदरता देखने को मिलती है।

4.तसेरिनग जोंग मोनेस्टरी

 

Tsering Jong Monastery

तिब्बती कॉलोनी के साथ ही यह एक सुंदर मठ है। तिब्बती कला में बना यह मठ अपनी अलग ही अभय लिए हुए है। इस मठ के अंदर लामाओं का निवास स्थान भी है। इस मठ को बहुत ही सलीके से सजाया हुआ है। यहाँ एक कैफै भी है, जहाँ आप तिब्बती भोजन का आनंद ले सकते हैं।

5.भूमाग जंपलिंग मोनेस्टरी

बीर के चोगान में बना यह मठ एक शानदार मठ है। जोंगसार रिनपोचे के द्वारा यह मठ बनवाया गया है। जेसे हर चिन्ह किसी न किसी चीज को दर्शाता है, वेसे ही यह मठ तिब्बती दिकरुंग कागयु लीनगे को दर्शाता है। इस मठ में रहने के लिए कम फीस में बेहतरीन जगह मिल जाती है।

6.साक्य दिर्रू मोनेस्टरी

Sakya Dirru Monastery

1073 वर्ष में खोन खोनचोक  ग्यालपो ने इस मोनेस्टरी की स्थापना की थी। बहुत ही कम लोग इस मोनेस्टरी के बारे में जानते हैं ओर कम लोग ही इस मोनेस्टरी में जाते हैं,जिससे यहाँ हमेशा शान्ति बनी रहती है। जिसकी तलाश में लोग हमेशा रहते हैं। अगर आप भी शांति ओर सुकून का अनुभव करना चाहते हैं तो तो इस मोनेस्टरी में जरूर जाएं।

7.जाबसांग चोएखोर लिंग

Zabsang Choekhor Ling

 सभी मठों में यह मठ सबसे बाद में बना है। इसलिए इसे एक नवीनतम मठ भी कह सकते हैं। इस मोनेस्टरी का श्री गणेश 28 अप्रैल 2014 में दलाई लामा ने किया था। बीर से 3 किलोमीटर दूर चौंतड़ा में यह स्थित है। पहाड़ों ओर जंगलों से घिरी यह मोनेस्टरी बहुत ही खूबसूरत है।

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